आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का धीरे धीरे दुनिया समेत भारत में भी अपने पैर पसार रहा है इसी के साथ भारत में पहली आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस वाली आंगनवाड़ी चल रही है | जो कि महाराष्ट्र के नागपुर जिल्ले से करीब 18 किलोमीटर दूर स्थित है | यह आंगनबाड़ी पिछले 3 महीने से चल रही है और यह AI की दुनिया में एक बड़ा क्रांतिकारी कदम है | सबसे खास बात यह है कि यहां पर 2 से 6 वर्ष की उम्र के बच्चे सीख रहे हैं | वधमान गांव की आंगनवाड़ी में AI के बाद रोजाना आने वाले बच्चों की संख्या 10 से 15 हो गई है | आइये इसके बारे में विस्तार से जानकारी जानते हैं |

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AI आंगनवाडी (Anganwadi) ऐसे हुयी तैयार
जुलाई से इस आंगनवाड़ी में छोटे-छोटे बच्चे चौक या फ्लैट तक सीमित रहने के बजाय मेटा के वर्चुअल रियलिटी (VR) हेडसेट , AI सपोर्टेड इंटरएक्टिव स्मार्ट बोर्ड , टैबलेट और अन्य इंटरएक्टिव डिजिटल कॉन्सेप्ट की मदद से कविताएं गीत और शुरुआती कॉन्सेप्ट सीख रहे हैं | बच्चों की शुरुआती शिक्षा को नया रूप प्रदान करने का यह कदम नागपुर जिला परिषद द्वारा अपने अग्रणी मिशन बाल भरारी पहल के तहत उठाया गया था | इसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों का शहरों के समान डिजिटल शिक्षा प्रदान करना है | महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणविस ने 27 जुलाई को इस परियोजना का उद्घाटन किया था जिला परिषद के फंड से करीब 9:30 लाख रुपया की लागत से इसे तैयार किया गया |

AI आंगनवाडी (Anganwadi) में कैसे बच्चो का बनेगा भविष अच्छा
गांव की 5 आंगनवाड़ी समय जिल्ले की 2202 आंगनबाड़ियों में उधमना की आंगनबाड़ी का चयन पायलट मॉडल के तौर पर हुआ था | जिसका 14 वर्षों से संचालन आंगनवाड़ी कार्यकर्ता सरोज कुकडे कर रही है | 2021 बैच के आईएएस ऑफिसर और नागपुर जिला परिषद के सीईओ विनायक महामुनि ने कहा कि “हमने खास तौर पर इस आंगनवाड़ी का चयन इसलिए किया क्योंकि यह बच्चों के करीब है | आंगनबाड़ी सेविका का उत्साह और ट्रेनिंग दौरों के लिए अन्य सेंटर के करीब हो सके | यह इसके अलावा यहइक्विपमेंट की सुरक्षा के लिए एक सुरक्षित वातावरण भी प्रदान करता है |”

पारदर्शिता और सिक्योरिटी सुनिश्चित सुनिश्चित करने के लिए आंगनवाड़ी में वाई-फाई वाले सीसीटीवी कैमरा लगाए गए हैं | जिनका एक्सेस महामुनि उनके डिप्टी और चाइल्ड डेवलपमेंट प्रोटेक्ट ऑफिसर(CDPO) समेत प्रमुख कार्यकर्ताओं द्वारा किया जा सकता है | हालांकि , जिल्ला परिषद को शुरुआत में इस मिशन के लिए सही टेक पार्टनर चुनने में बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था | महामुनि का कहना है कि आखिर में उन्होंने केंद्र के प्रोग्राम के तहत काम करने वाली एक फॉर्म , कोलाबा का चयन किया |
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